शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

कौन आया क्या बोल गया
कानों में डर घोल गया
वक़्त पे काम की बात न की
मोती भी बेमोल गया
अवसर को पहचान के वो
उलझी गाँठे खोल गया
कथ्य तो है पुरज़ोर, मगर
छन्दों का भूगोल गया
स्थिर को मिली मंज़िल 'दरवेश'
था जो डावांडोल, गया

बुधवार, 24 फ़रवरी 2010

नमस्कार ।
इस ब्लॉग में आपका स्वागत है - 'दरवेश' भारती